डॉ.निशा नाग ने एम.ए.,एम.फिल. और ‘राजनीतिक संदर्भों की हिन्दी कविता’विषय पर पी-एच.डी. की उपाधि ग्रहण की है|यू.जी.सी. रिसर्च फ़ेलोशिप प्राप्त करने के साथ केन्द्रीय हिन्दी संस्थान से अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, जनसंचार एवं विज्ञापन मे डिप्लोमा किया है| आधुनिक कविता,भाषा विज्ञान पत्रकारिता एवं आलोचना में रूचि | निशा वर्षो से रेडियो से जुड़ी रही हैं| ये उद्घोषक रही हैं एवं अनेक वार्ताओं तथा कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों में सक्रिय सहयोग दिया है|समसामयिक विषयों पर अनेक लेख ,आलोचना, समीक्षाएं एवं कहानियां हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं जैसे हंस,कथादेश ,पाखी ,अनभे साँचा, समकालीन भारतीय साहित्य, प्रत्यय, प्रतिशीर्षक,संवेद, प्रगतिशील वसुधा,अलाव ,साखी,अक्षरा,कला वसुधा,जनसत्ता आदि में निरंतर प्रकाशित|अनेक राष्ट्रीय संगोष्ठियों एवं परिचर्चाओं सक्रिय प्रतिभागिता| ‘राजनीतिक कविता की अवधारणा एवं नागार्जुन का कविकर्म’ विषय पर आलोचना पुस्तक प्रकाशित|मिरान्डा हाउस में गत 24 वर्षों से अध्यापन|
डॉ रजनी दिसोदिया ने बी.ए. एम.ए. एम.फिल और पीएच.डी दिल्ली विश्वविद्यालय से की है। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत सरकारी स्कूल में भाषा अध्यापक के तौर पर की और अब पिछले २२ सालों से वे मिरांडा हाउस में हिन्दी साहित्य पढ़ा रही हैं। कॉलेज में रहते हुए ही उन्होंने पी.जी. डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन भी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से किया। डॉ दिसोदिया की रचनात्मक लेखन में रुचि प्रारंभ से ही रही। अभी उनका एक कहानी संग्रह 'चारपाई' है जो 2014 में पहली बार प्रकाशित हुआ और 2019 में पुनर्प्रकाशित हुआ। उनका कविता संग्रह भी 'कहानी बहुत पुरानी है' नाम से 2019 में प्रकाशित हुआ। 2014 में 'साहित्य समाज और सृजनात्मकता' नाम से पहली पुस्तक प्रकाशित हुई। यह पुस्तक उस समय बी.ए.फ़ाउंडेशन कोर्स को ध्यान में रख कर लिखी गई थी। 2019 में डॉ दिसोदिया की 'साहित्य और समाज कुछ बदलते सवाल' नाम से एक आलोचना पुस्तक भी प्रकाशित हुई है और जल्दी ही 'लोई और लूना की बात' नाम से दलित स्त्री लेखन पर आधारित पुस्तक भी आने वाली है।
डॉo कविता मेहता/ भाटिया
एसोसिएट प्रोफेसर
दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए ( हिन्दी ) एम.फिल एवं पी एच. डी | कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिप्लोमा | 21 वर्षों से हिन्दी विभाग में अध्यापन |आधुनिक कविता, समकालीन कविता तथा पत्रकारिता व जनसंचार विशेष अध्ययन क्षेत्र रहे हैं | अध्यापन के अतिरिक्त साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में शोध आलेख, पुस्तक समीक्षाएं तथा कविताएं प्रकाशित | प्रकाशित पुस्तकों में आपात समय के लिए, किसी नवजात सुबह का इंतजार (काव्य संग्रह ) तथा अस्मिता बोध के विविध आयाम, सोशल मीडिया: वर्चुअल से वास्तविक ( आलोचना पुस्तक ) शामिल हैं | मुक्त शिक्षा परिसर, दिल्ली विश्वविद्यालय के लिए ‘ अरुण कमल की कविता ’ तथा ई. पी पाठशाला के लिए ‘ समकालीन कविता और कवि कुँवर नारायण ’ पाठ लेखन | विभिन्न महाविद्यालयों की राष्ट्रीय संगोष्ठियों में प्रपत्र प्रस्तुत | हिन्दी अकादमी, दिल्ली से दो बार उत्कृष्ट कविता लेखन के लिए पुरस्कृत | वर्ष 2013 में अंतरमहाविद्यालयी स्तर पर विद्यार्थियों की रचनात्मकता को मंच देने हेतु विभाग की हस्तलिखित पत्रिका ‘ पहचान ’ का प्रकाशन आरंभ एवं सम्पादन दायित्व वहन |
रमा यादव दिल्ली विश्वविद्यालय से नाटक और रंगमंच में पीएच.डी हैं l इन्होने दिल्ली विश्वविद्यालय से ही आधुनिककाल के कवि अज्ञेय पर एम.फिल की है l रमा यादव दिल्ली के श्री राम सेंटर से नाटक निर्देशन और अभिनय में सन २००१ में दो वर्षीय प्रशिक्षण लिया इसके साथ ही भारतीय अनुवाद परिषद् से अनुवाद में भी उन्होंने डिप्लोमा लिया l सन २००१ से रमा यादव देश के वरिष्ठ रंगकर्मी भानु भारती के साथ रंगमंच और रंग पार्श्व में सक्रीय रूप से काम कर रही हैं l रमा यादव सन २०१३ - २०१५ तक भारतीय सांस्कृतिक परिषद् की ओर से हंगरी की राजधानी बुदापेश्त में हिन्दी चेयर पर नियुक्त हुईं l कॉलेज की नाट्य समिति अनुकृति में सन २००५ - २०१३ तक सक्रीय भागीदारी करतीं रहीं l इसके उपरांत रमा यादव कॉलेज की नृत्य समिति मृदंग से भी जुड़ी रहीं l रमा यादव हिन्दी की विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में कहानियां , कवितायेँ , आलोचना लिखती रहीं हैं l रमा यादव का हालिया प्रकाशित नाटक कस्तूरबा के गांधी मंच पर काफी चर्चित रहा है l
बलवन्त कौर ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिराण्डा हाउस से हिन्दी भाषा और साहित्य में बी.ए तथा एम.ए किया है ।इन्होंने पीएच.डी उपाधि के लिए अपना शोध ‘हिंदी तथा उर्दू महिला कहानीकारों के तुलनात्मक अध्ययन पर सम्पन्न किया है। हिन्दी तथा अंग्रेजी के अतिरिक्त पंजाबी और उर्दू की भी जानकार। साहित्य के साथ हिन्दुस्तान शास्त्रीय संगीत में भी विशेष दिलचस्पी । पिछले लगभग 18 वर्षों से दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस में अध्यापन कर रही हैं। लगभग दस वर्षों तक हिन्दी साहित्य की प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित पत्रिका 'हंस' के सम्पादन कार्य से भी जुड़ी रही । आधुनिक कथा साहित्य, स्त्री अध्ययन, तथा विभाजन पर आधारित साहित्य इनके अध्ययन के मुख्य क्षेत्र हैं।
अब तक हिन्दी साहित्य की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख और अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त कईं महत्वपूर्ण किताबों का सम्पादन भी किया है। जैसे :- स्त्री आत्मकथांशों की पुस्तक ‘देहरी भई बिदेस’ (राजेन्द्र यादव और अर्चना वर्मा के साथ सह संपादन), राजेन्द्र यादव के सम्पादकीयों की किताबें ‘काश मैं राष्ट्रदोही होता’ तथा ‘वे हमें बदल रहे हैं’, 1931 में ज्योति प्रसाद मिश्र 'निर्मल' द्वारा सम्पादित 'स्त्री कवि कौमुदी' जैसी दुर्लभ पुस्तक की पुनर्प्रस्तुति , 2009 में ‘हंस’ के विशेषांक ‘स्त्री-विमर्श: अगला दौर’ तथा ‘राजेन्द्र यादव रचनावली’ के 15 खंडों का सम्पादन।
आजकल विभाजन से जुड़े भारतीय साहित्य तथा हिन्दी में स्त्री आलोचकों के योगदान पर कार्यरत
संपर्क: हिन्दी विभाग, मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली-7
ई-मेल : balwant.kaur@mirandahouse.ac.in
वर्ष 2006 से मिरांडा हाउस में स्थायी प्राध्यापक के पद पर कार्यरत l एम. ए, एम.फिल और पी.एच.डी राजस्थान विश्वविद्यालय से। ‘दलित आत्मकथाओं में सामाजिक यथार्थ’ विषय पर एम.फिल का शोध कार्य किया और ‘हिंदी आत्मकथा साहित्य: स्वरूप एवं विश्लेषण’ विषय पर पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की। यूजीसी नेट और जे.आर.एफ उत्तीर्ण । मिरांडा हाउस की फाइन आर्ट सोसाइटी और इंडियन डांस सोसाइटी से लंबे समय से जुड़ी रही हैं । विभाग की पत्रिका 'पहचान' के संपादक मंडल में सहभागिता l आत्मकथा साहित्य पर पुस्तक ‘आत्मकथा साहित्य :स्मृतियों का प्रत्याख्यान’ और 'आत्मकथा का लोकतांत्रिक स्वरुप' प्रकाशित। आत्मकथा ,दलित साहित्य , आदिवासी साहित्य तथा विविध विमर्शों पर शोध आलेख अनेक पत्र -पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशितl
डॉ. रेणु अरोड़ा, एम.ए.,एम.फिल.,पीएच.डी.(दिल्ली विश्वविद्यालय)
डॉ. रेणु अरोड़ा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के इंद्प्रस्थ महाविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की और दिल्ली विश्वविद्यालय से ही एम.फिल् और पी.एच.डी किया। नाटक और रंगमंच उनका विशेष अध्ययन-अध्यापन और रुचि का क्षेत्र है। ‘मोहन राकेश और विजय तेंदुलकर के नाटकों का भारतीय रंग-परिप्रेक्ष्य में तुलनात्मक अध्ययन’ उनके शोध का विषय रहा। वर्ष 2000 में उन्हें पी.एच.डी की उपाधि मिली। हिंदी-अंग्रेजी अनुवाद का उन्होंने डिप्लोमा कोर्स किया। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से थियेटर एपप्रिसिएशन का कोर्स किया। 1999 से अध्यापन कार्य में संलग्न। अप्रैल 2006 से मिरांडा हाउस में स्थायी प्राध्यापक के पद पर कार्यरत। शिक्षण के अलावा नाट्य-संस्था अनुकृति की नाट्य-गतिविधियों में सक्रिय सहयोग। विजय तेंदुलकर,बादल सरकार,भुवनेश्वर,भीष्म साहनी आदि नाट्य-लेखकों और हबीब तनवीर, ब.व.कारंत,त्रिपुरारी शर्मा आदि रंग-निर्देशकों के नाट्यकर्म पर लिखे लेख नटरंग,रंग-प्रसंग,संगना आदि प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित। रंग-गतिविधियों पर समीक्षा,समसामयिक मुद्दों पर लेख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। 18 वें भारत रंग महोत्सव में रंग-समीक्षक के तौर पर सक्रिय भागीदारी। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की थियेटर-इन-एजूकेशन कंपनी के लिए उन्हीं के द्वारा खेले गए चार नाटकों का नाट्यालेखन। प्रसिद्ध नाटककार एवं रंग-निर्देशिका त्रिपुरारी शर्मा के नाटक रूप-अरूप और राधा नाट्य-आलेख व प्रस्तुति-समीक्षा कथादेश पत्रिका में प्रकाशित। आकाशवाणी, ‘दिल्ली के महिला एवं बाल प्रभाग’‘विदेश सेवा प्रभाग,(हिंदी)‘से प्रसारित कार्यक्रमों में समय-समय पर भागीदारी।
हिंदी में स्नातक एवं स्नातकोत्तर, दौलत राम, दिल्ली विश्वविद्यालय। 'आखिरी खत में ग्रामीण और शहरी परिवेश' विषय पर एमफिल एवं 'जगदीशचंद्र के उपन्यासों में दलित विमर्श' विषय पर पीएचडी, दिल्ली विश्वविद्यालय। *ख्वाहिशों का आसमान* प्रकाशित काव्य संग्रह। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख एवं शोध पत्र प्रकाशित। आकाशवाणी पर प्रसारित विविध परिचर्चाओं, कवि सम्मेलन एवं वार्ताओं में सक्रिय भागीदारी। दिल्ली विश्वविद्यालय में 2003 से एवं मिरांडा हाउस में 2006 से अध्यापन कार्य में संलग्न। विभिन्न राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में प्रपत्र प्रस्तुति एवं सक्रिय भागीदारी। दिव्यांगों के सर्वांगीण विकास हेतु गठित *लक्षिता सोसाइटी* का 2019 से संयोजक का उत्तरदायित्व। *हौसलों की उड़ान* नाम से लोकसभा चैनल ने इन पर डाक्यूमेंट्री बनाई।
संगीता राय दिल्ली विश्वविद्यालय से एम फ़िल और पीएच. डी. हैं। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से ही उर्दू का अध्ययन किया। इसके साथ ही कोटा यूनिवर्सिटी, राजस्थान से बैचलर ऑफ़ जर्नलिज़्म और मास्टर ऑफ़ जर्नलिज़्म किया। आपने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के प्रोजेक्ट “रंग-दस्तावेज़” के लिए रिसर्च स्कॉलर के रूप में काम किया। “कल्लोल” नामक बाल-पत्रिका का सम्पादन किया। आपने कई वर्षों तक DD NEWS में समाचार प्रस्तोता के रूप में काम किया तथा ऑल इंडिया रेडियो में RJ के रूप में काम किया। पिछले सोलह वर्षों से मिरांडा हाउस में कार्यरत हैं। आपके लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली से हिंदी विषय में बी.ए. और एम् .ए.
हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी विषय में एम्.फिल
डॉ. बी.आर. म्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली से हिंदी विषय में पीएच.डी.
भारतीय विद्या भवन दिल्ली से 'अंग्रेजी से हिंदी' में अनुवाद की डिग्री
देश के शैक्षणिक संस्थानों के पाक्षिक समाचार-पत्र 'कैम्पस कॉर्नर' का चार वर्षों से संपादन
प्रतिष्ठित पत्रिकाओं लगभग दस शोध-पत्रों का प्रकाशन
दस से अधिक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में भागीदारी व पत्र-वाचन
लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक एवं सनात्कोत्तर| 'रेणु की स्त्री -दृष्टि : सन्दर्भ मैला आँचल' विषय पर दिल्ली विश्वविद्यालय से एम्.फिल. एवं 'नागार्जुन एवं रेणु के उपन्यासों में अभिव्यक्त स्त्री- दृष्टि का तुलनात्मक अध्ययन' विषय पर दिल्ली विश्वविद्यालय से पी.एचडी. की उपाधि प्राप्त की| हिन्दी विभाग,दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर अंग्रेजी-हिंदी अनुवाद उपाधिपत्र| 2009-2010 में यूजीसी नेट एवं जे.आर.एफ उत्तीर्ण| वर्ष 2011 से लगातार दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य| वर्ष 2019 से मिरांडा हाउस में अध्यापन| 'कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु: एक नया आयाम' शीर्षक से पुस्तक प्रकाशित | विभिन्न साहित्यिक विषयों पर स्त्रीकाल, अपनी माटी, युवा संवाद जैसी राष्ट्रीय पत्रिकाओं एवं सम्यक प्रकाशन, नटराज प्रकाशन, साहित्य संचय एवं पुस्तकनामा प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तकों में शोध लेख प्रकाशित| जनसत्ता राष्ट्रीय समाचार पत्र में समसामयिक विषयों पर लेख प्रकशित| लोकमित्र से प्रकाशित पुस्तक में कविताओं का प्रकाशन| दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में प्रपत्र प्रस्तुति| वर्ष 2016-2018 तक भित्ति पत्रिका 'सृजन' की संयोजक|
डॉ. अनु ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक,स्नातकोत्तर, एम.फिल् (दर्शन निष्णात)और पीएच.डी (विद्या वाचस्पति) की उपाधि प्राप्त की है तथा यूजीसी नेट और जे.आर.एफ उत्तीर्ण किया है । केन्द्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा पत्रकारिता और भाषा विज्ञान में डिप्लोमा प्राप्त हैं । इन्हें यूजीसी के मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट में प्रोजेक्ट फ़ेलो के रूप में कार्यानुभव प्राप्त है ।इनके द्वारा देशज समकालीन पत्रिका का कुछ वर्ष सम्पादन किया गया।पुस्तक लेखन - उपन्यास यात्रा -झांसी की रानी और कर्मभूमि, मंजूर एहतेशाम के कथा संग्रह में संवेदना और शिल्प, ज़िंदगी की तलाश(काव्य संग्रह)। संपादित पुस्तकें - हिन्दी कहानी, आधुनिक कविता-2,काव्य धारा, हिन्दी कविता आदिकालीन और मध्यकालीन काव्य, आहट समय की(काव्य संग्रह)। इनके कई शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं एवं समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित हुए हैं। समाजसेवी संस्थाओं में सक्रिय रूप से कार्यरत ।