मिरांडा हाउस का हिंदी विभाग अपने अन्य सराहनीय कार्यो के अतिरिक्त अपनी वार्षिक हस्तलिखित पत्रिका ' पहचान ' के लिए भी अपनी विशेष भूमिका बनाए हुए है। हिंदी विभाग के प्रारंभिक वर्षों में इसकी शुरुआत 'भारती ' नाम से हुई थी । जिसके दो अंक ही सामने आ पाए परंतु किन्हीं कारणों से यह आगे नही चल सकी । वर्ष 2013 में इस पत्रिका को ' 'पहचान ' नाम से पुनर्जीवित किया गया। यह पत्रिका आज के डिजिटल युग में भी पूरी तरह हस्तलिखित रूप में ही प्रकाशित की जाती है। यह पत्रिका केवल महाविद्यालयी स्तर पर ही नहीं वरन् अन्तरमहाविद्यालयी स्तर पर विद्यार्थियों को अपनी रचनात्मकता प्रस्तुत करने का एक उत्कृष्ट मंच देती है। ' पहचान ' समय और समाज से जुड़े ठोस मुद्दों को स्वर देने के साथ दिन- प्रतिदिन दिखाई देने वाले इस जगत की भीतरी सतह को उभारकर उसे नए आयाम भी देती है। इस पत्रिका में समसामयिक व साहित्यिक विषयों पर लेखों एवं कविताओं के अतिरिक्त परिचर्चा, साक्षात्कार, आत्मकथ्य, पुस्तक व फ़िल्म समीक्षाएं भी शामिल की जाती है। पत्रिका ने समय-समय पर डिजिटल तकनीक, अस्मितामूलक विमर्श, समकालीन कवि और कविता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, हिंदी एवं हिन्दीतर साहित्य पर आधारित विशेषांक भी प्रकाशित किए है । इस पत्रिका की पहचान अपने हस्तलिखित लेखन सामग्री के अतिरिक्त विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए इसके कवर पेज और भीतर के रेखांकनों के लिए भी विशेष है । प्रत्येक वर्ष विभागीय साहित्योत्सव के अवसर पर विमोचित किए जाने के पश्चात विभिन्न महाविद्यालयों में इसका वितरण भी किया जाता है । ' पहचान' पत्रिका अपने लक्ष्य--' भावुक, जीवंत, चिंतनशील और मानव की आधारभूत स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति समर्पित भविष्य में भी ' निश्चित ही अपनी इस अनवरत यात्रा में नए आयाम जोड़ते हुए इसका विस्तार करेगी और विभाग और महाविद्यालय का गौरव बनाए रखेगी ।